ज्ञानवापी सर्वे में क्या मिला, क्या दिखा, मीडिया में नहीं छपना चाहिए, मुस्लिम पक्ष की अर्जी 
Sharing Is Caring:

वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर से सटी ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे को लेकर जिला जज की अदालत में मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने साफ किया कि सर्वे की रिपोर्ट एएसआई गोपनीय रखेगी और केवल अदालत में दाखिल करेगी।

वह किसी तरह का बयान मीडिया में नहीं देगी। रिपोर्ट लीक भी नहीं होनी चाहिए। अदालत ने यह भी कहा कि ज्ञानवापी में क्या मिला, क्या दिखा आदि पर खबरें मीडिया में नहीं छपनी चाहिए। मुस्लिम पक्ष की मीडिया ट्रायल पर रोक की अर्जी पर हालांकि कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है। माना जा रहा है कि कल इस पर कोई आदेश आ सकता है।

सुनवाई के दौरान अंजुमन के अधिवक्ता ने अर्जी के समर्थन में पक्ष रखा और रोक लगाने की मांग की गई। उधर वादी पक्ष ने कहा कि यह मुद्दा राष्ट्रीय है। इसके बारे में आम लोगों को जानना जरूरी है। मीडिया स्वतंत्र है। कोई भी मीडिया एएसआई टीम के बयान के आधार पर खबर नहीं बना रही है। कुछ खबरें वादी व प्रतिवादी के बयान के आधार पर बनती हैं। इस पर आपत्ति नहीं करना चाहिए।

सुनवाई पर हिन्दू पक्ष के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने कहा कि अदालत ने मीडियाकर्मियों को गेट नंबर 4 के पास बैरिकेडिंग से दूर रखने को कहा है। इसके साथ ही कही दूसरी जगह से तस्वीर लेने पर भी रोक लगाने की बात कही है। जिला जज ने सर्वे की टीम को भी निर्देश दिया है कि एएसआई की रिपोर्ट परिसर से जुड़े हुए साक्ष्य गोपनीय हैं, जिसे पहले कोर्ट में जमा करना है। अतः इसकी गोपनीयता को मेंटेन रखा जाए। यह भी कहा कि ज्ञानवापी में क्या मिला, क्या दिखा आदि पर खबरें मीडिया में नहीं छपनी चाहिए। इतना ही नहीं जिला जज ने सोशल मीडिया पर भी नजर बनाए रखने के लिए प्रशासन को निर्देशित किया है।

मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को जिला जज की अदालत में आपत्ति दाखिल कर मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने की मांग की थी। आरोप लगाया था कि ज्ञानवापी के सर्वे को लेकर तरह तरह की रिपोर्ट छप रही है। इससे अफवाह फैल रहा है। माहौल भी खराब होने की आशंका है। वहीं, बिना शुल्क जमा किए सर्वे पर अदालत ने हिन्दू पक्ष को नोटिस जारी करते हुए 17 अगस्त की तारीख तय की है।मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के दौरान हिन्दू वादियों की ओर से बाहर आकर तरह तरह की बयानबाजी की जा रही है। उनकी तरफ से अंदर तमाम हिन्दू प्रतीक मिलने और अन्य तरह की बयानबाजी की जा रही है। यह बयानबाजी मीडिया में लगातार छप रही है। जबकि इसमें कोई सच्चाई नहीं है। इसी से दुखी होकर मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में आपत्ति दाखिल की। अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक सर्वे की मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग की थी।कोर्ट में दी गई अर्जी में शृंगार गौरी प्रकरण में प्रतिवादी अंजुमन इंतेजामिया ने कहा है कि कोर्ट के आदेश पर एएसआई सर्वे हो रहा है। सर्वे की टीम या उसके किसी अधिकारी की ओर से सर्वे के सम्बन्ध में कोई बयान नहीं दिया गया लेकिन सोशल मीडिया, अखबार व समाचार चैनल में लगातार खबरें प्रकाशित हो रही हैं। उन्होंने इन खबरों को भ्रामक बताया। अंजुमन के मुताबिक इससे जनमानस पर गलत प्रभाव पड़ रहा है। वैमनस्य फैल रहा है। इसलिए इस तरह के समाचारों को प्रसारित व प्रकाशित करने से रोका जाए।इसी अर्जी पर सुनवाई करते हुए जिला जज की अदालत ने कहा कि अंदर क्या मिला, क्या नहीं मिला, इस पर मीडिया में कुछ नहीं छपना चाहिए। अदालत ने मीडिया को ज्ञानवापी से दूरे रखने का भी आदेश दिया। अदालत ने मुस्लिम पक्ष के आरोपों और आपत्ति पर हिन्दू पक्ष को नोटिस जारी कर 17 अगस्त तक जवाब मांगा है।
सर्वे की फर्जी तस्वीरें वायरल करने का आरोप
इससे पहले कई तस्वीरें ज्ञानवापी का बताते हुए वायरल हुई थीं। इसे लेकर ज्ञानवापी के मुख्य इमाम मुफ्ती अब्दुल बातिन नोमानी ने दावा किया है कि सर्वे की जो तस्वीरें बताई जा रही हैं वो वहां की नहीं है। एक निजी चैनल से बातचीत में इमाम अब्दुल नोमानी ने कहा कि हम हर जुमा को वहां नमाज पढ़ाने जाते हैं वहां कभी ऐसे निशान नहीं दिखे जिन्हें हिन्दू प्रतीक चिह्न बताया जा रहा है। हम कैसे मान लें कि वे सही कह रहे हैं। इसमें कोई सच्चाई नहीं है। मैं कहता हूं कि यदि मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई भी जाएगी तो उसके निशान क्यों छोड़ देंगे। सब बिल्कुल जाया कर देंगे, क्यों निशान बाकी रखेंगे। इसमें कोई सच्चाई नहीं है।ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सर्वेक्षण पर मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील मुमताज अहमद ने भी कहा था कि मेरे प्रतिनिधि वहां मौजूद हैं। जहां अभी कार्रवाई नहीं हुई वहां अफवाह फैलाई जा रही कि इतनी बड़ी मूर्ती, त्रिशूल मिल गया है। अगर आम जनता यह देखेगी तो लोगों में उन्माद आएगा। प्रशासन को यह सब चीज़ें देखनी चाहिए क्योंकि क़ानून व्यवस्था बनाए रखना उनका काम है।
हिन्दू पक्ष ने किया था दावा
ज्ञानवापी के तहखाने के सर्वे के दौरान बाहर निकले हिन्दू पक्ष के वकील ने वहां हिन्दू मंदिर के प्रतीक चिह्न मिलने का दावा किया था। तहखाने में हिन्दू देवी-देवताओं के चिह्नों के साथ ही खंडित मूर्तियां व खम्भे मिलने का दावा हिन्दू पक्ष की ओर से किया गया।सर्वे में मौजूद रहे वादी के अधिवक्ता अनुपम द्विवेदी ने दावा किया कि यहां हिन्दू मंदिरों की स्थापत्य शैली में बने फूल, देवी-देवताओं के चिह्न मिले। यहां भी जीएनएसएस मशीन से थ्री-डी मैपिंग हुई। आंगन के खम्भों और दीवारों पर उभरीं जंजीर, घंटियां, कमल के फूल, त्रिशूल आदि की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी कराई गई।

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version