जीवन में एक मार्गदर्शक का होना अत्यंत आवश्यक -पूज्य श्री देवकीनंदन ठाकुर
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प्रयागराज महाकुंभ उपरोक्त बाते पूज्य देवकीनंदन ठाकुर जी महाराज ने अपने कथा क्रम में कही। आज कथा में पूज्य गीतामनीषी श्री ज्ञानानंद जी महाराज ने शामिल होकर व्यासपीठ का आशीर्वाद प्राप्त किया एवं कथा पंडाल में उपस्तिथ भक्तों को संबोधित किया।आज की कथा में महाराज श्री ने कहा आज का व्यक्ति सिर्फ अपने बारे में सोचता है, जबकि समाज और दुनिया की भलाई की ओर किसी का ध्यान नहीं जाता। अगर हम आज इसी आत्मकेंद्रित मानसिकता में जी रहे हैं, तो आने वाली पीढ़ी की दिशा और दशा क्या होगी? इसका जिम्मेदार हम सब हैं—हम और आप। जिस मनुष्य की अस्थियाँ गंगा में विसर्जित होती है, वह न केवल पुण्य का भागी होता है, बल्कि वह स्वर्ग में भी वास करता है। गंगा का पवित्र जल उसकी आत्मा को शुद्ध करता है और उसकी आत्मा को शांति मिलती है। अगर आपके घर में लड्डू गोपाल हैं और आप उनका स्नान करते हैं, तो उस जल का पान करना अत्यंत शुभ होता है। यह जल केवल शारीरिक शुद्धि ही नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और आशीर्वाद का भी प्रतीक है। इस पवित्र जल को अपने बच्चों को भी पान कराना चाहिए, ताकि उनके जीवन में सुख, समृद्धि और भगवान की कृपा बनी रहे।जीवन में एक मार्गदर्शक का होना अत्यंत आवश्यक है, और यदि वह मार्गदर्शक कोई संत हो, तो उसकी महिमा का क्या कहना! जब मार्गदर्शक संत होते हैं या भगवान से जुड़े होते हैं, तो उनका आशीर्वाद आपके जीवन में शांति, समृद्धि और दिव्य प्रकाश लेकर आता है, जो आपके हर कदम को सही दिशा में मार्गदर्शित करता है।भगवान को वही जान सकते हैं, जिन्हें भगवान जानाना चाहते हैं। यदि भगवान की इच्छा हो, तो ही आप उनका सच्चा अनुभव और ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। भगवान का आशीर्वाद और कृपा ही हमें उनकी दिव्यता को समझने और महसूस करने का मार्ग प्रदान करती है। कथा में भरी संख्या में श्रोता मौजूद रहे।

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