जब AM-PM नहीं पता तो PMO क्या चलाएंगे, राहुल गांधी के ऑफिस पर प्रणब मुखर्जी ने उठाए थे सवाल
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कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे प्रणब मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी द्वारा लिखी गई एक नई किताब में कई सनसनीखेज दावे किए गए हैं। किताब में बताया गया है कि प्रणब मुखर्जी ने कांग्रेस का नेतृत्व करने की राहुल गांधी की क्षमता पर सवाल उठाया था और उनके लगातार गायब रहने के चलते निराश थे।

इसके अलावा, यह भी कहा था कि राहुल गांधी के ऑफिस को एएम और पीएम के बीच का मतलब नहीं पता है तो पीएमओ क्या संभालेंगे। ‘प्रणब माई फादर’ बुक में, शर्मिष्ठा मुखर्जी ने राहुल गांधी पर अपने पिता की आलोचनात्मक टिप्पणियों और गांधी परिवार के साथ उनके संबंधों के बारे में विस्तार से लिखा है।

एनडीटीवी के अनुसार, शर्मिष्ठा किताब में लिखती हैं कि एक सुबह, मुगल गार्डन (अब अमृत उद्यान) में प्रणब की सामान्य सुबह की सैर के दौरान, राहुल उनसे मिलने आए। प्रणब को सुबह की सैर और पूजा के दौरान कोई भी रुकावट पसंद नहीं थी। फिर भी, उन्होंने उनसे मिलने का फैसला किया। वास्तव में शाम को प्रणब से मिलने का कार्यक्रम था, लेकिन उनके (राहुल के) कार्यालय ने गलती से उन्हें सूचित कर दिया कि बैठक सुबह थी। मुझे एडीसी में से एक से घटना के बारे में पता चला। जब मैंने अपने पिता से पूछा, तो उन्होंने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की, ”अगर राहुल का ऑफिस एएम और पीएम के बीच अंतर नहीं कर सकता, तो वे एक दिन पीएमओ क्या चलाएंगे।”

प्रणब मुखर्जी कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे। बाद में वे देश के राष्ट्रपति भी रहे। यूपीए के कार्यकाल के दौरान मुखर्जी के पास वित्ता और रक्षा मंत्रालय जैसे अहम पद रहे हैं। किताब में उस घटना का भी जिक्र है, जिससे प्रणब मुखर्जी निराश हो गए थे और राहुल गांधी के बारे में सोच रहे थे। शर्मिष्ठा मुखर्जी लिखती हैं, “आम चुनावों में कांग्रेस की हार के बमुश्किल छह महीने बाद, 28 दिसंबर 2014 को पार्टी के 130वें स्थापना दिवस पर एआईसीसी में ध्वजारोहण समारोह के दौरान वह स्पष्ट रूप से अनुपस्थित थे।”

इस मामले को लेकर प्रणब मुखर्जी ने अपनी डायरी में भी लिखा था। उन्होंने अपनी डायरी में लिखा, “राहुल एआईसीसी समारोह में मौजूद नहीं थे। मुझे कारण नहीं पता लेकिन ऐसी कई घटनाएं हुईं। चूंकि उन्हें सब कुछ इतनी आसानी से मिल जाता है, इसलिए वह इसकी कद्र नहीं करते। सोनियाजी अपने बेटे को उत्तराधिकारी बनाने पर तुली हुई हैं, लेकिन युवा व्यक्ति में करिश्मा और राजनीतिक समझ की कमी एक समस्या पैदा कर रही है। क्या वह कांग्रेस को पुनर्जीवित कर सकते हैं? क्या वह लोगों को प्रेरित कर सकते हैं? मुझे नहीं पता।” हालांकि, किताब में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने यह भी कहा है कि यदि प्रणब मुखर्जी आज जिंदा होते तो वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान उनके समर्पण, दृढ़ता आदि की सराहना करते। 4,000 किमी से अधिक लंबी इस 145-दिवसीय यात्रा ने राहुल को कट्टरता का मुकाबला करने वाले एक अत्यधिक विश्वसनीय चेहरे के रूप में स्थापित किया है।”

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