आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और केंद्र सरकार के बीच की तनातनी दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है। बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने जो दिल्ली सरकार को पावर दिया था उसे केंद्र ने एक अध्यादेश लाकर छीन लिया है।
अब अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति दिल्ली सरकार के पास नहीं रही। रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम केजरीवाल से मुलाकात करने पहुंचे। नीतीश ने ट्रांसफर-पोस्टिंग विवाद को लेकर केजरीवाल की पार्टी को अपना समर्थन दिया। सीएम केजरीवाल केंद्र सरकार की अध्यादेश के बहाने विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट करने में जुट गए हैं। साथ ही केजरीवाल अपनी तीन ‘मुश्किल’ को इसके लिए ताकत बनाना चाहते हैं। आइए समझते हैं कैसे…
विपक्षी दलों की एकजुटता
रविवार को बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सीएम केजरीवाल से मुलाकात किए। दोनों ने केंद्र के अध्यादेश विवाद पर AAP का खुलकर सपोर्ट किया। नीतीश से मुलाकात के बाद केजरीवाल 23 मई को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से भेंट करने जा रहे हैं। ठीक एक दिन बाद यानी 24 मई को सीएम केजरीवाल महाराष्ट्र जाएंगे। वहां वो उद्धव ठाकरे और शरद पवार से मुलाकात करेंगे। बैक टू बैक सीएम केजरीवाल विपक्षी दलों के दिग्गज नेताओं को अपने फेवर में करने के लिए जुट गए हैं। फिलहाल वो केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ सबको एकजुट करना चाहते हैं। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि केजरीवाल साल 2024 को लेकर मेगा प्लान तैयार कर रहे हैं।
तीन ‘मुश्किल’ को बना रहे ताकत
गौरतलब है कि सीबीआई ने बीते महीने सीएम केजरीवाल को समन भेजा था। केजरीवाल से सीबीआई मुख्यालय में कुल 9 घंटे की लंबी पूछताछ की गई। सीबीआई के इस एक्शन के बाद भाजपा ने जमकर उन पर अटैक किया था। इसके बाद भाजपा ने केजरीवाल के आवास के रिनोवेशन का मुद्दा उठाया। आवास पर खर्च हुए 45 करोड़ रुपए को लेकर भाजपा के अलावा कांग्रेस ने भी AAP पर अटैक किया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने तो यहां तक कह दिया कि केजरीवाल के आवास पर 45 नहीं 171 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इन दो मुश्किलों के बाद हाल में केंद्र सरकार का अध्यादेश केजरीवाल के लिए तीसरी मुसीबत बन गया। दरअसल, इस अध्यादेश के बाद अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग की शक्ति अब वापस दिल्ली के उपराज्यपाल के पास चली गई। कोर्ट ने जब यह शक्ति दिल्ली सरकार को दी थी तब AAP ने जमकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। ये तीनों मुद्दे कहीं न कहीं AAP को कमजोर करते दिखे। हालांकि अब केजरीवाल इन्हीं तीन मुद्दों को लेकर विपक्षी दलों के नेताओं को एकजुट करना चाहते हैं।
दरअसल, आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता यह दावा करते हैं कि प्रधानमंत्री के खिलाफ अगर कोई खड़ा हो सकता है तो वह केजरीवाल ही हैं। बीते महीनों केजरीवाल की पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा मिला। इसके बाद AAP अब 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को टक्कर देने का प्लान बना रही है। केजरीवाल विपक्ष के सभी नेताओं को एक छत के नीचे लाना चाहते हैं। हालांकि कांग्रेस अभी केजरीवाल को लेकर कंफ्यूजन में नजर आ रही है। कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेता केजरीवाल का सपोर्ट करते हैं तो कुछ खुलकर उनपर प्रहार भी। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि केजरीवाल की यह प्लानिंग कितनी सफल होती है।