केजरीवाल की आजादी HC ने क्यों रोक दी, जज न्याय बिंदु के फैसले में क्या-क्या बताई कमी
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कथित शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को मंगलवाार को उस समय बड़ा झटका लगा जब हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से मिली जमानत पर रोक लगा दी। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के आदेश में कई कमियों का जिक्र करते हुए कई बड़ी टिप्पणी की।जस्टिस सुधीर कुमार जैन की बेंच ने यहां तक कहा कि ट्रायल कोर्ट ने जमानत देने का फैसला करते हुए अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया।

हाई कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के जज को अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर फैसला सुनाते समय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अपना पक्ष रखने का पर्याप्त मौका देना चाहिए था। सुनवाई के दौरान ईडी ने हाई कोर्ट में यह दलील दी थी कि ट्रायल कोर्ट में जज न्याय बिंदु ने उनकी पूरी बात को नहीं सुना और दस्तावेजों को भारी-भरकम बताते हुए देखने से इनकार कर दिया। राउज एवेन्यू स्थित ट्रायल कोर्ट ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत का आदेश पारित किया था।

जस्टिस सुधीर कुमार जैन ने यह भी कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग केस में अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ईडी की ओर से पेश की गई सामग्री का उचित आकलन नहीं किया गया। हाई कोर्ट ने 10 मिनट में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ईडी की दलीलें नहीं सुनी गईं। ईडी ने नए सिरे से जो दस्तावेज संबंधित अदालत में दायर किए थे वह भी नहीं देखे गए। यह कानून संगत नहीं है। हालांकि इस याचिका पर विस्तृत सुनवाई के लिए पीठ ने 10 जुलाई की तारीख तय की है।

हाई कोर्ट ने ईडी की दलील का जिक्र करते हुए कहा कि राउज एवेन्यू अदालत की यह टिप्पणी भी सही नहीं है कि ‘इतनी बड़ी फाइल (सभी दस्तावेजों ) को पढ़ना मुश्किल है।’ जस्टिस जैन ने कहा कि ऐसा लग रहा है कि पीएमएलए की धारा 45 पर विचार नहीं किया गया है। धारा 45 के तहत जमानत के लिए अनिवार्य दो शर्तों पर विचार नहीं किया गया।

गौरतलब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को कथित शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। 21 दिनों की अंतरिम जमानत को छोड़ दें तो वह तीन महीने से जेल में बंद हैं। लोकसभा चुनाव की वजह से मिली अतंरिम जमानत की अवधि खत्म होने के बाद 2 जून को सरेंडर करके वह जेल चले गए थे। केजरीवाल ने पहले मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत और नियमित जमानत के लिए दो याचिकाएं ट्रायल कोर्ट में लगाईं थीं। निचली अदालत ने अंतरिम जमानत की याचिका खारिज कर दी थी। लेकिन बाद में नियमित जमानत देने का फैसला किया। ईडी ने इस फैसले को अगले ही दिन हाई कोर्ट में चुनौती दे दी।

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