योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर ने अपने ही छह में से चार विधायकों को समाजवादी पार्टी का नेता बता दिया है। अपनी पार्टी के विधायक बेदी राम के पेपर लीक मामले में फंसने और उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी होने पर ओपी राजभर ने यहां तक कह दिया कि उनके चार विधायक असल में समाजवादी पार्टी से भेजे गए लोग हैं।
उन्होंने विधायक बेदी राम, विधायक जगदीश नारायण, विधायक अब्बास अंसारी और विधायक दूधराम को अखिलेश यादव की तरफ से भेजे गए प्रत्याशी बताया। ओपी राजभर की पार्टी से यूपी में कुल छह विधायक हैं।
एक चैनल से बातचीत में ओपी राजभर ने कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान सुभासपा और सपा का गठबंधन हुआ था। इसमें सुभासपा को 17 सीटें दी गई थीं। कहा गया था कि 14 सीटों पर सपा के लोग चुनाव लड़ेंगे। इन्हें सुभासपा केवल सिंबल देगी, यही हुआ। सुभासपा ने केवल तीन सीटों संडीला, शिवपुर और जहूराबाद में अपने प्रत्याशी खड़े किए थे। संडीला में प्रदेश अध्यक्ष, शिवपुर में महासचिव और जहूराबाद में राष्ट्रीय अध्यक्ष यानी मैं चुनाव मैदान में उतरा था। इसके अलावा अन्य सीटों पर सपा के प्रत्याशी थे।
राजभर ने कहा कि जौनपुर से विधायक जगदीश नारायण राय भले ही मेरी पार्टी से विधायक हैं लेकिन समाजवादी पार्टी की रसीद काट रहे हैं, गाड़ी पर सपा का झंडा और सपा की टोपी लगाकर घूम रहे हैं। इसी तरह मऊ में अब्बास अंसारी भी समाजवादी पार्टी से ही भेजे गए प्रत्याशी हैं। एमएलसी चुनाव में जगदीश नारायण ने सपा के पक्ष में ही वोट भी दिया था। अब्बास भी बाहर होते तो सपा के पक्ष में वोट देते। कहा कि विधायक दूधराम औऱ बेदी राम से पूछ लीजिए किस पार्टी के हैं। यह सारे लोग हमारे यहां भेजे गए प्रत्याशी हैं।
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार हमारे सिंबल पर जीते हैं तो हमारे विधायक माने जा रहे हैं। असलियत में यह लोग सपा के ही आदमी हैं। सपा का इन विधायकों पर पेपर लीक को लेकर हमला करना हास्यास्पद है। कहा कि इन लोगों ने अपने प्रत्याशी देकर साजिश की थी। यह चाहते थे कि जब भी जरूरत होगी मेरे विधायक उनके पाले में चले जाएंगे। राजभर ने कहा कि अजगरा, सलेमपुर से जो प्रत्याशी हमारी पार्टी से लड़े थे वह भी सपा का झंडा लेकर घूम रहे हैं।
सुभासपा विधायक बेदी राम और निषाद पार्टी विधायक विपुल दुबे के खिलाफ लखनऊ की स्पेशल कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट और बहुत समय से पेश नहीं होने के सवाल पर राजभर ने अनभिज्ञता जताई। कहा कि इसके बारे में उन्हें नहीं पता कि क्यों पेश नहीं हो रहे थे। यह मामला बहुत पुराना है। नीट पेपर लीक से इसका कोई संबंध नहीं है।