ऐसा दोबारा नहीं होगा, सुप्रीम कोर्ट में बार-बार माफी क्यों मांग रहे बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण?
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पतंजलि आयुर्वेद की ओर से भ्रामक विज्ञापन के मामले में योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट से माफी मांगी है। दोनों ने कोर्ट से कहा है कि अब दोबारा ऐसा नहीं होगा।बाबा रामदेव और बालकृष्ण इस महीने की शुरुआत में भी व्यक्तिगत रूप से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे और माफी मांगी थी। कोर्ट ने दोनों को निजी तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश होने के लिए कहा था।

योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। दोनों ने पतंजलि आयुर्वेद से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों के संबंध में बिना शर्त माफी मांगी और कहा कि इस गलती पर उन्हें खेद है और कोर्ट को आश्वस्त करना चाहते हैं कि ऐसा दोबारा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा दायर एक मुकदमे पर सुनवाई कर रही है, जिसमें आधुनिक, साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को कमजोर करते हुए आयुष उपचार प्रणाली को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है।

जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण की भी आलोचना की थी। अप्रैल की शुरुआत में हुई सुनवाई के दौरान जस्टिस कोहली ने कहा था, “यदि यह बचाव योग्य नहीं है, तो आपकी माफी काम नहीं करेगी। यह शीर्ष अदालत को दिए गए वचन का घोर उल्लंघन है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपके वचन का पालन किया जाना चाहिए… हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और यह लापरवाही है। आपकी माफी स्वीकार करने का क्या कारण है?”

सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान कहा था कि हम यहां उन्हें निर्देश देने के लिए नहीं हैं। उन्हें जो सम्मान मिलता है, उसे देखते हुए उनकी तुलना आम नागरिकों से नहीं की जा सकती। वे व्यापक शोध करने का दावा करते हैं। इस दावे के कारण ही हम इस मामले को अत्यंत गंभीरता से ले रहे हैं। कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण दोनों को अगली सुनवाई पर मौजूद रहने का निर्देश देते हुए मामले को 10 अप्रैल तक के लिए टाल दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी आश्चर्य जताया है कि केंद्र सरकार ने आखिर कोई कार्रवाई क्यों नहीं की, जबकि पतंजलि ने सार्वजनिक रूप से कोविड के लिए आधुनिक चिकित्सा के असर को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने औषधि एवं लाइसेंस विभाग को मामले में पक्षकार बनने का निर्देश दिया है। बता दें कि 21 नवंबर 2023 के एक फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने आधुनिक चिकित्सा के खिलाफ भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रसारित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद की आलोचना की थी और चेतावनी दी थी कि अगर ऐसी प्रचार गतिविधियां जारी रहीं तो एक करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा।

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