ऊर्जा भवन में गुरुवार को समीक्षा बैठक के दौरान जेई के विरुद्ध लापरवाही बरतने की शिकायत ऊर्जा राज्यमंत्री डॉ. सोमेंद्र तोमर को मिलने के बाद जेई को निलंबित कर दिया गया। इस पर जेई ने रात में जहरीला पदार्थ खा लिया।गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर है। दूसरी ओर, इसके विरोध में जूनियर इंजीनियरों ने मुख्य अभियंता मेरठ जोन द्वितीय राघवेंद्र का घेराव कर लिया। घंटों हंगामा जारी रहा। निलंबित जेई को बहाल करने की मांग की और चेतावनी दी कि यदि 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए उन्हें व्यवस्था उपलब्ध नहीं कराई तो पश्चिमांचल के सभी 14 जिलों के जूनियर इंजीनियर ऊर्जा भवन पर डेरा डालकर आंदोलनात्मक कदम उठाने को बाध्य होंगे।गगोल बिजलीघर पर तैनात जूनियर इंजीनियर राजेश कुमार को मुजफ्फरनगर में निलंबित किया गया था। कोर्ट के आदेश के बाद बहाल कर उन्हें गगोल बिजलीघर पर तैनाती दी गई थी। ट्रांसफार्मर फुंकने की किसानों की शिकायत पर तीन दिन पहले जेई का गगोल से लखवाया बिजलीघर तबादला कर दिया गया था, लेकिन ऊर्जा राज्यमंत्री की समीक्षा बैठक में एमडी द्वारा बैठाई जांच के चलते पावर ट्रांसफार्मर जल जाने के मामले में गुरुवार शाम जेई राजेश कुमार को अधीक्षण अभियंता देहात संजीव वर्मा ने निलंबित कर दिया था।कहा जा रहा है मानसिक रूप से परेशान होकर जेई राजेश कुमार ने गुरुवार रात जहरीले पदार्थ का सेवन कर लिया। बिजलीघर पर मौजूद कर्मचारी उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे। जूनियर इंजीनियर संगठन पदाधिकारी भी पहुंचे और इलाज के लिए चंदा कर आर्थिक मदद की। फिलहाल जेई की हालत में सुधार है और हालत खतरे से बाहर है।
मुख्य अभियंता का घेराव, घंटों हंगामा
अस्पताल में भर्ती जेई को देखने न आने और उपचार में अफसरों द्वारा सहयोग नहीं किए जाने को लेकर जूनियर इंजीनियर संगठन के पदाधिकारी मुख्य अभियंता मेरठ जोन द्वितीय राघवेंद्र के दफ्तर पहुंच गए और हंगामा कर दिया। इस दौरान सपा विधायक अतुल प्रधान भी वहां मौजूद थे। उन्होंने भी निलंबित किए गए जेई को बहाल किए जाने की बात कही। घंटों तक जूनियर इंजीनियरों का हंगामा जारी रहा। जूनियर इंजीनियर संगठन के पश्चिमांचल अध्यक्ष अरविंद बिंद, सचिव आरए कुशवाहा, आशुतोष शर्मा, गुलशन कुमार, प्रवीण कुमार ने अभी तक निलंबित गए जूनियर इंजीनियरों को तत्काल बहाल किए जाने की मांग की। बाद में जूनियर इंजीनियर संगठन पदाधिकारियों की निदेशक कार्मिक एवं प्रबंधन एसके पुरवार से वार्ता हुई। उनके आश्वासन के बाद जूनियर इंजीनियर शांत हुए।
पश्चिमांचल जूनियर इंजीनियर संगठन सचिव आरए कुशवाहा का कहना है कि 24 घंटे बिजली आपूर्ति की जिम्मेदारी जूनियर इंजीनियरों पर है। व्यवस्था दी नहीं जा रही। संविदा कर्मचारियों की संख्या घटाई जा रही है। एक-एक जेई पर कई-कई बिजलीघरों की जिम्मेदारी है। यदि जूनियर इंजीनियरों को बिजली आपूर्ति के लिए व्यवस्था नहीं मिलेगी तो पश्चिमांचल के 14 जिलों के जूनियर इंजीनियर आंदोलनात्मक कदम उठाने को मजबूर होंगे।
मेरठ जोन द्वितीय मुख्य अभियंता राघवेंद्र का कहना है कि गगोल में तैनात जेई का पांच दिन तक फुंका ट्रांसफार्मर नहीं बदलने की शिकायत पर तबादला किया गया। कल एसई देहात ने निलंबन की कार्रवाई की थी। रात में जेई ने जहरीला पदार्थ खा लिया। सुबह सूचना मिली तो दफ्तर से उनके निकलने से पहले ही विधायक अतुल प्रधान आ गए और वह कर्मचारी को देखने अस्पताल नहीं जा सके। बाद में जूनियर इंजीनियर संगठन के लोग आ गए।