यूपी राज्यसभा चुनाव में खुलकर क्रासवोटिंग करने वाले सपा के सात विधायकों के सियासी भविष्य को लेकर अभी तस्वीर धुंधली है। इस बात की चर्चा चल रही है कि सातों विधायक इस्तीफा देकर फिर से चुनाव के मैदान में जाएंगे या सपा विधानसभा सदस्यता रद कराएगी।
हालांकि सपा अपने इन बागी विधायकों को पार्टी से निकालने की कार्रवाई से बचना चाहती है। विशेषज्ञ कहते हैं कि फिलहाल सपा इन बागी विधायकों की सदस्यता भी खत्म कराने की स्थिति में नहीं है। माना जा रहा है कि विधानसभा में इन बागी विधायकों को एक अलग गुट के रूप में मान्यता मिल सकती है और सदन में इन सदस्यों के सपा से अलग बैठने की व्यवस्था हो सकती है। वैसे अगर इन विधायकों ने खुद ही अपनी सदस्यता से इस्तीफा दिया तो इन सात सीटों पर विधानसभा उपचुनाव होगा।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बुधवार को कहा कि इन विधायकों पर नियमानुसार कार्रवाई होगी। और स्पीकर इन पर कार्रवाई कर सकते हैं। माना जा रहा है कि सपा इन विधायकों को निष्कासित करने जैसे कदम से बचेगी। निष्कासित करने से यह विधायक कहीं भी जा सकते हैं। अगर सपा ने इन्हें निष्कासित नहीं किया तो यह सब तकनीकी तौर पर सपा विधायक ही रहेंगे।
अब देखना है कि सपा विधानसभा अध्यक्ष के यहां इन विधायकों पर किस तरह की कार्यवाही की मांग करती है और खुद क्या कार्रवाई करती है। सपा के साथ ही बागी विधायक स्पीकर के यहां सदन में अपने बैठने की स्थिति के बाबत क्या मांग करते हैं। सपा अपने बागी विधायकों में कुछ के पाला बदलने से काफी सकते हैं। कुछ विधायकों के बारे में खुद अखिलेश को भी अहसास नहीं था कि यह पाला बदल सकते हैं। क्योंकि यह विधायक नियमित रूप से उनसे मिलने जाते थे।
उधर सपा के तीसरे प्रत्याशी आलोक रंजन को केवल 19 वोट मिलने की स्थिति को आंतरिक खींचतान से जोड़कर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि उन्हें इतने ही वोट आवंटित हुए और अगर सपा में सात विधायकों की बगावत न होती तो भी उनकी जीत सुनिश्चित होना मुश्किल होता।
अखिलेश ने डराने-धमकाने का आरोप लगाया
राज्यसभा की 10 सीटों के लिए मंगलवार को हुए मतदान में सपा के सात विधायकों ने क्रासवोटिंग की थी। सपा के विधानसभा में मुख्य सचेतक मनोज पाण्डेय समेत सात विधायकों ने खुलकर भाजपा के पक्ष में वोट किया। इसके साथ ही सपा की महिला विधायक महाराजी प्रजापति ने मतदान में शामिल न होकर भाजपा की मदद की। वोटों के गणित के हिसाब से भाजपा के आठ और सपा के दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। अखिलेश यादव ने सपा की क्रास वोटिंग का ठीकरा भाजपा की जोड़तोड़ की राजनीति पर फोड़ते हुए डराने-धमकाने और लुभाने का आरोप लगाया। बगावत करने वाले सपा सदस्यों ने इसे अंतरात्मा की आवाज और भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों से प्रभावित होने की बात कही।
सपा के सचेतक मनोज पाण्डेय समेत इन सात ने की बगावत
सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, राकेश पांडेय, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य ने भाजपा के पक्ष में खुलकर वोट किया। अमेठी की विधायक पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति की पत्नी महाराजी प्रजापति ने गैर हाजिर रहकर भाजपा की सीधे तौर पर मदद की। सुभासपा के विधायक जगदीश नारायण राय ने खुलकर सपा को वोट किया है।