आरक्षण कोटा बढ़ाने के मुद्दे पर विधानसभा में विपक्ष का हंगामा
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बिहार विधानसभा में मंगलवार को विपक्षी सदस्यों ने आरक्षण कोटा को 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किए जाने तथा इसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर सदन में जोरदार हंगामा किया।

विधानसभा में मंगलवार को भोजनावकाश के पहले की बैठक के दौरान कार्यस्थगन प्रस्ताव पेश करते हुए सदस्य रणविजय साहू ने कहा कि महागठबंधन सरकार ने जाति सर्वेक्षण की रिपोर्ट के आधार पर आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के अलावा पिछड़े, अति पिछड़े, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण कोटा 65 प्रतिशत तक बढ़ाने का निर्णय लिया था।

साहू ने सदन को अवगत कराया कि बिहार विधानमंडल द्वारा पारित आरक्षण विधेयक, 2023 अब अधिनियम बनने की प्रक्रिया में है। साथ ही, सरकार ने केंद्र से अनुरोध किया था कि इसे न्यायिक समीक्षा से छूट प्रदान करने के लिए संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए लेकिन केंद्र सरकार ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया।

विधायक ने तमिलनाडु के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि वहां की सरकार ने आरक्षण कोटा बढ़ाने के लिए बनाए गए कानून को तत्कालीन नरसिंह राव सरकार में संविधान की नौवीं अनुसूची में सम्मिलित करवाकर न्यायिक समीक्षा से छूट प्रदान की थी। इसी आधार पर वह भी बिहार आरक्षण कानून को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं।

इस मुद्दे पर विपक्षी दल के सदस्यों ने सदन में सरकार से जवाब मांगा और जमकर नारेबाजी की। उन्होंने बिहार सरकार द्वारा 2023 में पारित कानून को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग दोहराई।’

गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवंबर 2023 में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण के आलावा अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण कोटा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करने का कानून पारित किया था।
राज्य सरकार के इस फैसले को पटना उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी, जिसके बाद न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी। इस पर बिहार सरकार ने उच्च न्यायालय के निर्णय को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है।

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