सुप्रीम कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर गुरुवार को सुनवाई हुई. शीर्ष अदालत ने इसपर केंद्र से चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं. वहीं, कोर्ट के फैसले पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि यह एक बड़ा फैसला है, उम्मीद है कि इससे देश में सांप्रदायिकता और अशांति फैलाने वालों पर लगाम लगेगी.प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट पर आज भारत के चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय विशेष पीठ ने सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक केंद्र का जवाब नहीं आ जाता, तब तक इस मामले में कोई सुनवाई नहीं होगी. अगली तारीख तक कोई नया केस दाखिल न किया जाए. सुप्रीम कोर्ट में जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने संभल और अजमेर दरगाह पर हिंदुओं के दावे को लेकर याचिका दायर की है.
मौलाना मदनी ने कहा कि यह एक बड़ा फैसला है
संभल त्रासदी और अजमेर दरगाह पर हिंदुओं के दावे की पृष्ठभूमि में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी के निर्देश पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद द्वारा पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम 1991 के संबंध में याचिका दायर की है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि यह एक बड़ा फैसला है, उम्मीद है कि इससे देश में सांप्रदायिकता और अशांति फैलाने वालों पर लगाम लगेगी.उपासना स्थल संरक्षण अधिनियम को बनाए रखने और इसके प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर शीर्ष अदालत में दायर याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने जोरदार दलीलें दीं. पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर जमीयत उलमा-ए-हिंद के वकीलों ने भी न्यायालय में अपनी दलीलें पेश की.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम की अगली तारीख तक कोई नया केस दाखिल न किया जाए. हालांकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले दर्ज मामले चलते रहेंगे. कोर्ट ने कहा कि सुनवाई तक निचली अदालतें आदेश नहीं देंगी. केंद्र सरकार को 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा गया है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते के बाद होगी.