अपने अलायंस को INDIA कहना स्मार्ट कदम, लेकिन…; प्रशांत किशोर ने विपक्षी गठबंधन को दी क्या सलाह?
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विधानसभा से लेकर लोकसभा चुनाव तक विभिन्न दलों के लिए रणनीति बना चुके पूर्व चुनावी रणनीतिकार और वर्तमान में जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर ने विपक्षी दलों द्वारा रखे गए ‘इंडिया’ गठबंधन नाम पर प्रतिक्रिया दी है।

उन्होंने इसे स्मार्ट कदम बताया है। हालांकि, उन्होंने यह भी साफ किया कि सिर्फ ब्रांड के दम पर लोकसभा चुनाव नहीं जीता जा सकता है। जीत को लेकर उन्होंने सलाह दी कि विपक्षी दलों को कोई नया नैरेटिव लाना होगा, जिससे लोग उन्हें वोट करें। प्रशांत किशोर ने अपने बयान को मजबूती प्रदान करने के लिए इंदिरा गांधी और राजीव गांधी को हराए जाने के दौरान बने नैरेटिव का भी उदाहरण दिया।

प्रशांत किशोर से जब ‘टाइम्स नाउ’ के इंटरव्यू में पूछा गया कि विपक्ष ने अपने गठबंधन का नाम ‘इंडिया’ रखा है, क्या यह मास्टरस्ट्रोक है? इस पर पीके ने जवाब दिया, ”ब्रांडिंग के नजरिए से यह नाम ठीक है। अपने अलायंस को इंडिया कहना पूरी तरह से स्मार्ट मूव है, लेकिन ब्रांडिंग और स्ट्रैटेजी से चुनाव नहीं जीता जा सकता है।” प्रशांत किशोर ने आगे कहा, ”महागठबंधन शब्द 2015 से पहले नहीं था। यह पहली बार बिहार में शब्द लिखा गया। जहां तक इंडिया का सवाल है, विपक्ष के नजरिए से यह ठीक है। लेकिन यह सही नहीं है कि साथ में आ गए तो जीत जाएंगे। अगर सभी साथ में आ भी जाते हैं तो भी अभी उन्हें बहुत आगे जाना है।” पीके ने कहा कि इंडिया अलायंस के पास अब भी कोई नैरेटिव नहीं है। इंदिरा गांधी को हराने के लिए सभी दल साथ आ गए थे और वीपी सिंह ने सभी के साथ आकर राजीव गांधी की सरकार को हराया था, लेकिन उस समय इमरजेंसी, जेपी आंदोलन, बोफोर्स आदि जैसे नैरेटिव थे। पहले नैरेटिव था, फिर दल साथ हुए। उसके बाद ही उन्हें जीत मिली।

‘विपक्ष से अभी नैरेटिव ही गायब है’
‘जन सुराज’ के प्रमुख प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि अभी नैरेटिव मिसिंग है यानी कि बेस ही गायब है। वहीं, 61 फीसदी वोट बीजेपी के खिलाफ का वोट है, उस पर विपक्ष अलायंस बनाकर बीजेपी को हरा सकता है? इस सवाल पर प्रशांत किशोर ने कहा कि इस देश में 50 फीसदी से ज्यादा वोट लेकर सरकारें बनी नहीं हैं। राजीव गांधी की सरकार को भी 50 फीसदी वोट नहीं आए थे। 61 फीसदी में ही वाईआरसीपी, बीआरएस, बीजेडी आदि सबके वोट भी जुड़े हुए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में 224 सीटों पर जहां बीजेपी जीती, उसमें वोट फीसदी 50 फीसदी से ज्यादा है। ऐसे में 61 फीसदी वाली गणित सीधी नहीं है। ऐसे में आपको बीजेपी के कुछ वोट पाने हैं और जब तक कोई नया नैरिटिव लेकर नहीं आते हैं, तब तक ऐसा होगा नहीं।

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