अदिति, दिनेश और मनोज. रायबरेली में बागियों के साथ दिखे राहुल, कभी थे खास, अब नजर नहीं मिलाते
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दुश्मनी जम कर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे कि जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा न हों. वैसे तो बशीर बद्र ने यह शेर सालों पहले लिखा था, लेकिन आज रायबरेली में जिला विकास समन्वय और निगरानी समिति (दिशा) की बैठक में नेताओं के नजरें चुराते हुए दिखने के बाद याद आ गया.

दिशा की बैठक में स्थानीय सांसद राहुल गांधी पहुंचे थे. जिले के आला अधिकारियों के साथ वो भी नेता मौजूद थे, जो एक दौर में राहुल गांधी की टीम का अहम हिस्सा थे, लेकिन आज विरोधी हैं.

रायबरेली के कलेक्ट्रेट सभागार में दिशा की बैठक राहुल गांधी की अगुवाई में हुई. उनके दायीं ओर अमेठी से सांसद किशोरी लाल शर्मा बैठे थे तो बायीं ओर यूपी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह. बीजेपी का दामन थामने से पहले दिनेश प्रताप सिंह कांग्रेसी थे. कांग्रेस ने दिनेश प्रताप सिंह को एमएलसी बनाया था, जबकि उनके भाई कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने थे. एक दौर में दिनेश प्रताप सिंह को राहुल गांधी की टीम का हिस्सा माना जाता था.

दिनेश प्रताप सिंह ने 2018 में बदला था पाला

2018 में दिनेश प्रताप सिंह ने पाला बदला और भाजपाई हो गए. इसके बाद वह गांधी परिवार के सबसे बड़े विरोधियों में शुमार हो गए. बीजेपी ने 2019 और 2024 में सोनिया और राहुल के खिलाफ दिनेश प्रताप सिंह को ही मैदान में उतारा था, लेकिन दोनों बार हार का सामना करना पड़ा. आज जब राहुल गांधी, दिशा की बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे तो दिनेश प्रताप सिंह उनके बगल में बैठे नजर आए. दोनों नजर चुराते रहे. दोनों के बीच किसी भी तरह की गुफ्तगू नहीं हुई.

बैठक के दौरान भले ही राहुल गांधी और दिनेश प्रताप सिंह में आपसी संवाद न हुआ, लेकिन राहुल गांधी के जाते ही दिनेश प्रताप सिंह ने राहुल गांधी के खिलाफ पोस्टर जरूर लहराया. इस पोस्टर पर लिखा था, ‘रायबरेली के लोगों के लिए रायबरेली में एक रात तो गुजारिए… 6 माह में मात्र 5 घंटे तो 5 साल में 50 घंटे… मतलब 5 साल में कुल 2 दिन?’ साथ ही मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने मोदी-योगी सरकार की ओर से रायबरेली में कराए गए विकास कार्य का लेखा-जोखा भी रखा.

बैठक में दिनेश प्रताप के अलावा विधायक अदिति सिंह भी शामिल हुईं

इस बैठक में केवल दिनेश प्रताप सिंह के अलावा रायबरेली सदर से विधायक अदिति सिंह भी शामिल हुईं. अदिति सिंह ने जब बैठक की शुरुआत में राहुल गांधी को अपना परिचय दिया तो वह कुछ देर तक मुस्कुराती रहीं. राहुल गांधी भी मुस्कुराए लेकिन चंद सेकंड में गंभीर हो गए. अदिति सिंह भी दिनेश प्रताप सिंह की तरह कांग्रेसी रही हैं. 2017 का चुनाव अदिति सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर ही लड़ा था और रायबरेली सदर सीट से विधायक बनी थीं.

लेकिन 2019 में अदिति सिंह का कांग्रेस से मोहभंग हो गया और 2022 आते-आते भाजपाई हो गईं. 2022 में अदिति सिंह एक बार फिर रायबरेली सीट से मैदान में उतरीं, लेकिन चुनाव निशान कमल था. कड़े मुकाबले में अदिति सिंह जीत गईं. अदिति सिंह ने 2019 में पंजाब से कांग्रेस विधायक अंगद सिंह सैनी से शादी की थी, लेकिन 2023 में दोनों अलग हो गए. इसके पीछे भी अदिति सिंह ने गांधी परिवार को ही वजह बताया था. तब से अदिति सिंह मुखर गांधी परिवार विरोधी हैं.

क्रॉस वोटिंग करने वाले मनोज पांडेय भी थे

दिनेश प्रताप सिंह और अदिति सिंह के अलावा इस बैठक में ऊंचाहार से सपा के बागी विधायक मनोज पांडेय भी शामिल हुए. राज्यसभा चुनाव के दौरान ही मनोज पांडेय ने सपा से बगावत की और क्रॉस वोटिंग की थी. तबसे वह बीजेपी के संपर्क में हैं और 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह, मनोज पांडेय के घर पर भी गए थे. दिनेश प्रताप सिंह और अदिति सिंह की तरह मनोज पांडेय से भी राहुल गांधी का कोई आपसी संवाद न हुआ.

5 घंटे की बैठक में कोई आपसी संवाद नहीं

यानी करीब 5 घंटे तक चली दिशा की बैठक में न तो राहुल गांधी ने आपसी संवाद की कोशिश की और न ही दिनेश प्रताप सिंह या अदिति सिंह या मनोज पांडेय ने. सभी जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से ही बात करते और सवाल पूछते ही दिखे. बैठक खत्म होने के बाद राहुल गांधी चुपचाप निकल गए तो दिनेश प्रताप सिंह और मनोज पांडेय ने राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और रायबरेली का विकास न करवाने का आरोप लगाने लगे.

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