अतीक और अशरफ को पैदल क्यों ले गए, एंबुलेंस से क्यों नहीं, UP सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने दागे सवाल
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माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से स्थिति रिपोर्ट की मांग की।

कोर्ट ने यूपी सरकार से कई सवाल किए कि आखिर दोनों को अस्पताल एंबुलेंस से क्यों नहीं ले जाया गया और अस्पताल के एंट्री गेट तक पुलिस पैदल क्यों ले गई? साथ ही, कोर्ट ने यह भी पूछा कि आखिर हमलावरों को यह कैसे पता चला कि दोनों को अस्पताल ले जाया जा रहा है?

जस्टिस एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की बेंच ने झांसी में पुलिस के साथ हुई उस मुठभेड़ के संबंध में भी उत्तर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें अतीक अहमद का बेटा असद मारा गया था। उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसआईटी) के दल ने असद को 13 अप्रैल को एक मुठभेड़ में मार गिराया था। इसके दो दिन बाद अतीक अहमद तथा अशरफ की मीडियाकर्मी बनकर आए तीन लोगों ने नजदीक से गोली मारकर हत्या कर दी थी।

‘हमलावरों को कैसे मिली जानकारी?’
‘लाइव लॉ’ के अनुसार, सुनवाई के दौरान बेंच ने यूपी सरकार से पूछा कि हत्यारों को यह जानकारी कैसे मिली कि अहमद बंधुओं को अस्पताल ले जाया जा रहा है। पीठ ने यह भी पूछा कि पुलिस ने अहमद भाइयों को एंबुलेंस में वहां तक ले जाने के बजाय अस्पताल के प्रवेश द्वार तक क्यों चलने को कहा? यूपी सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने जोरदार तरीके से बेंच से नोटिस जारी नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा कि राज्य सरकार दो मौतों की जांच कर रही है। रोहतगी ने पीठ से कहा, “यह व्यक्ति और उसका पूरा परिवार पिछले 30 वर्षों से जघन्य अपराधों में था। यह संभव है कि दोनों को उन्हीं लोगों ने मारा हो, जिनके क्रोध का उन्होंने सामना किया था। यह उन एंगल्स में से एक है जिस पर हम गौर कर रहे हैं।”

सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ?
वरिष्ठ वकील ने सुनवाई के दौरान कहा कि सभी ने टेलीविजन पर हत्याएं देखीं। हत्यारे न्यूज फोटोग्राफरों के भेष में आए थे। उनके पास पास थे, उनके पास कैमरे थे, और पहचान पत्र भी थे जो बाद में नकली पाए गए। वहां 50 लोग थे और बाहर और भी लोग थे। इस तरह वे अतीक और अशरफ को मारने में कामयाब रहे। इस पर जस्टिस भट्ट ने पूछा कि उन्हें पता कैसे चला? इस पर रोहतगी ने जवाब दिया, “अदालत के निर्देश के अनुसार कि पुलिस हिरासत में किसी भी आरोपी को हर दो दिन में मेडिकल जांच के लिए ले जाना चाहिए। ये हमलावर लगातार तीन दिनों से जा रहे थे।”

‘एंबुलेंस से अस्पताल के गेट तक क्यों नहीं ले गए?’
जस्टिस दीपांकर दत्ता ने पूछा, ”मिस्टर रोहतगी, उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल के गेट तक क्यों नहीं ले जाया गया? उन्हें पैदल क्यों ले गए और परेड क्यों कराई गई?” इस पर वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया, “यह दूरी बहुत कम थी।” जस्टिस भट्ट ने कहा, “आपके पास जो भी सामग्री है उसे रख दीजिए। हम इस पर गौर करेंगे।” वरिष्ठ वकील ने बेंच को बताया कि सरकार द्वारा एक जांच आयोग और साथ ही राज्य पुलिस की एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) नियुक्त की गई है। आयोग में दो मुख्य न्यायाधीश, एक अन्य न्यायाधीश और एक पुलिस अधिकारी शामिल हैं। हमने एक एसआईटी भी नियुक्त की है। हम और क्या कर सकते हैं?

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