महाराष्ट्र में एक साल बाद फिर से बड़ा खेल हुआ और विपक्ष के नेता रहे अजित पवार रविवार को डिप्टी सीएम बन गए। यही नहीं 8 और नेताओं को मंत्री बनवा दिया। उनका कहना है कि एनसीपी के 40 विधायक साथ हैं, जो भाजपा सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं।
इस बीच उत्तर प्रदेश में भी एक बड़ा उलटफेर हो सकता है। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले रालोद नेता जयंत चौधरी भाजपा के साथ आ सकते हैं। रालोद के आने से भाजपा पश्चिम यूपी में और मजबूत हो जाएगी। इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में जाट मतदाताओं के बीच भी वह पैठ बना सकेगी।
सूत्रों का कहना है कि जयंत चौधरी ने रविवार को दिल्ली में एक केंद्रीय मंत्री से मुलाकात की थी। दो घंटे तक चली मीटिंग में जयंत चौधरी के एनडीए में शामिल होने पर चर्चा हुई। यही नहीं रविवार को यूपी आए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने कहा कि जयंत चौधरी आने वाले दिनों में एनडीए में शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘जयंत चौधरी पटना में हुई विपक्ष की मीटिंग में नहीं गए थे। वह अखिलेश यादव से नाराज हैं और हमारे साथ आ सकते हैं।’ इस तरह यदि जयंत चौधरी पाला बदलकर भाजपा संग आते हैं तो फिर विपक्षी एकता को एनसीपी में फूट के बाद कुछ ही दिनों के अंदर दूसरा झटका होगा।
विपक्ष की मीटिंग से भी बहाना बनाकर दूर रहे जयंत
कुछ वक्त से अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के रिश्तों में खटास की चर्चाएं हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से ही दोनों दल साथ हैं, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई। 2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई। फिर भी रिश्ते बहुत नहीं बिगड़े, लेकिन निकाय चुनाव में दोनों दलों के बीच समझौता नहीं हो सका। इसके बाद से ही अखिलेश और जयंत के बीच दूरियां बढ़ती गईं। फिर यह दूरी इतनी बढ़ गई कि जयंत चौधरी 23 जून को पटना में हुई मीटिंग में नहीं गए। उन्होंने कहा कि वह पहले से तय एक पारिवारिक कार्यक्रम में रहेंगे।
अखिलेश के जन्मदिन पर एक ट्वीट तक नहीं किया
यही नहीं 1 जुलाई को अखिलेश यादव के जन्मदिन पर जयंत चौधरी ने शुभकामनाएं देने के लिए एक ट्वीट तक नहीं किया। वहीं मायावती और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सपा नेता के लिए ट्वीट किया था। ऐसे में जयंत चौधरी के अगले कदम को लेकर फिर से चर्चाएं तेज हो गईं। आरएलडी के सूत्रों ने कहा कि आरएलडी के एक नेता के लिए राज्यसभा सीट देने के मसले पर दोनों में मतभेद हो गए थे। फिर इसी साल मई में शहरी निकाय के चुनाव में यह टकराव और बढ़ गया। आरएलडी को इस बात पर नाराजगी थी कि उसे एक भी मेयर सीट सपा की ओर से नहीं ऑफर की गई। खासतौर पर मेरठ की सीट को लेकर दोनों दलों के बीच तनाव था।
निकाय चुनाव में अखिलेश संग नहीं दिखे थे जयंत
यही वजह थी कि निकाय चुनाव में जब अखिलेश यादव प्रचार के लिए वेस्ट यूपी आए तो जयंत चौधरी साथ नहीं दिखे। कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर से जयंत चौधरी को कुछ ऑफर दिए गए हैं, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बनी है। गौरतलब है कि पश्चिम यूपी में रालोद का जाटों और मुस्लिम वर्ग के बीच जनाधार रहा है। ऐसे में रालोद यदि भाजपा के साथ जाती है तो फिर उसे लोकसभा इलेक्शन में अच्छा फायदा मिलेगा। गाजियाबाद से लेकर सहारनपुर तक उसे कई सीटों पर बढ़त मिलेगी।