अखिलेश को किस बात का सता रहा डर? वोटिंग से पांच दिन पहले सपा ने बदला प्रत्याशी
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यूपी निकाय चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपने-अपने समीकरण सेट करने में जुटे हैं। वहीं समाजवादी पार्टी को अपने प्रत्याशियों को लेकर एक भी सता रहा है। दरअसल शाहजहांपुर और बरेली में जिस तरह से सपा उम्मीदवारों ने ऐन वक्त पर पाला बदला है उससे सपा में अपने अन्य उम्मीदवारों को लेकर चिंता बढ़ गई है।बरेली में सपा उम्मीदवार ने नामांकन वापस ले लिया तो वहीं शाहजहांपुर में सपा की मेयर प्रत्याशी अर्चना वर्मा ने भाजपा का दामन थाम लिया। दो चरणों में होने वाले निकाय चुनाव का नामांकन 24 अप्रैल को खत्म हो गया है। वहीं सपा में हो रही सेंधमारी को देखते हुए अखिलेश ने अब मथुरा-वृंदावन से सपा प्रत्याशी को बदल दिया है। अखिलेश ने यहीं से निर्दलीय उम्मीदवार को अपना समर्थन दे दिया है। हालांकि इससे पहले सपा झांसी, बरेली व शाहजहांपुर में भी प्रत्याशी बदल चुकी है।मथुरा-वृंदावन नगर निगम में अखिलेश ने मेयर प्रत्याशी के तौर पर पंड़ित तुलसीराम शर्मा को सपा उम्मीदवार की घोषणा की थी, लेकिन नामांकन खत्म होने के बाद छह दिन बाद प्रत्याशी बदलने को लेकर अखिलेश के इस फैसले से हर कोई हैरान रह गया। सपा ने मथुरा-वृंदावन नगर निगम में निर्दलीय प्रत्याशी राजकुमार रावत को अपना समर्थन दे दिया है। सपा ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से प्रत्याशी बदले जाने को लेकर एक लेटर भी जारी किया है।सपा प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने जारी लेटर में कहा है कि नगर निगम मथुरा-वृंदावन से मेयर प्रत्याशी राजकुमार रावत पूर्व विधायक को मथुरा-वृंदावन निर्वाचन क्षेत्र से महापौर पद के लिए समाजवादी पार्टी ने समर्थन दिया है। पार्टी ने लेटर में आगे लिखा, सभी सम्मानित मतदाता, सपा कार्यकर्ता राज कुमार रावत का पूर्ण समर्थन करें।मथुरा-वृंदावन में प्रत्याशी बदलने का पहला मामला नहीं है। इससे पहले सपा ने झांसी में रघुवीर चौधरी को प्रत्याशी बनाया था लेकिन बाद में सतीश जतारिया को प्रत्याशी घोषित कर दिया था। शाहजहांपुर में तो सपा ने अर्चना वर्मा को प्रत्याशी बनाया लेकिन वह भाजपा में शामिल हो गईं और मेयर प्रत्याशी हो गईं। लिहाजा वहां सपा को दूसरा प्रत्याशी मैदान में उतारना पड़ा। सपा ने बरेली में भी अपने प्रत्याशी का पर्चा वापस करा लिया और निर्दलीय प्रत्याशी आईएएस तोमर को समर्थन देने का ऐलान किया। तोमर दो बार बरेली के मेयर रह चुके हैं। यहां खास बात यह कि राज कुमार रावत इसी महीने कांग्रेस में शमिल हुए और कांग्रेस से मेयर प्रत्याशी हो गए लेकिन बाद में उनकी उम्मीदवारी खारिज कर दी। इसके बाद वह निर्दलीय मैदान में कूद गए।

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