Sharing Is Caring:

भारतीय स्पेस स्टार्टअप कंपनी “अग्निकुल कॉसमॉस” चार असफल प्रयासों के बाद अपना “अग्निबाण” रॉकेट अंतरिक्ष में भेजने में सफल रही है. यह अंतरिक्ष में भेजा जाने वाला दूसरा भारतीय निजी क्षेत्र का रॉकेट है.’अग्निबाण’ में ऐसा भारतीय रॉकेट इंजन लगा हुआ है जो गैस और लिक्विड ईंधन दोनों पर चलता है.यह भारत में इस तरह का एकलौता इंजन है. इसे दो चरणों में लॉन्च किया जाता है और यह 300 किलो तक का भार उठा सकता है. अग्निबाण को लॉन्च करने की कोशिश बीते दो महीनों में कई बार की गई, लेकिन हर बार किसी ना किसी तकनीकी खराबी की वजह से उसे टालना पड़ा. दो ही दिन पहले, मंगलवार को, भी लॉन्च की कोशिश की गई थी, लेकिन लिफ्ट-ऑफ से पांच सेकंड पहले रद्द करना पड़ा. मील का पत्थर गुरुवार को यह रॉकेट लॉन्च के बाद अंतरिक्ष में 700 किलोमीटर ऊंचाई तक गया और करीब दो मिनट तक अंतरिक्ष में रहा. उसके बाद वह समुद्र में गिर गया. अग्निकुल कंपनी की स्थापना 2017 में हुई थी

कंपनी देश का पहला निजी लॉन्च पैड और मिशन कंट्रोल केंद्र चलाती है. देश के बाकी सभी लॉन्च पैड इसरो चलाती है, लेकिन उसने खुद कभी सफलतापूर्वक कोई “सेमी-क्रायोजेनिक” इंजन वाला राकेट लॉन्च नहीं किया है. कंपनी ने एक बयान में कहा, “इस कंट्रोल्ड वर्टिकल एसेंट फ्लाइट के सभी उद्देश्य पूरे हुए और प्रदर्शन नॉमिनल था” उड़ान का उद्देश्य नए इंजन और थ्रीडी प्रिंटेड पुर्जों का परीक्षण करना था. उड़ान की सफलता पर इसरो ने एक्स पर कहा, “यह एक प्रमुख मील का पत्थर है. यह एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग से बनाए गए एक सेमी-क्रायोजेनिक लिक्विड इंजन की पहली कंट्रोल्ड फ्लाइट है” अंतरिक्ष क्षेत्र का निजीकरण अंतरिक्ष नियामक संस्था इंडियन नैशनल स्पेस प्रोमोशन एंड ऑथराइजेशन सेंटर के अध्यक्ष पवन के गोएंका ने भी इसे एक “ऐतिहासिक क्षण” बताया. भारतीय अंतरिक्ष संगठन ने कहा कि यह लॉन्च भारत के निजी अंतरिक्ष उद्योग में “वैश्विक भरोसे को और मजबूत” करेगी. बीते कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के अंतरिक्ष क्षेत्र के निजीकरण और वाणिज्यीकरण पर जोर दिया है. 2022 में स्काईरुट नाम की कंपनी ने देश का पहला निजी तौर पर विकसित किया रॉकेट लॉन्च किया था. 

Sharing Is Caring:

Related post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version